रुड़की।  ( आयुष गुप्ता ) श्री भवानी शंकर आश्रम रुडकी में 21 से 27 नवंबर तक शिव महापुराण कथा, रुद्राभिषेक और दैनिक यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। आज शिव महापुराण कथा के द्वितीय दिवस श्री श्री 1008 महा मंडलेश्वर स्वामी हेमानंद सरस्वती महाराज ने बताया कि शिव महापुराण के माहात्म्य की कथा में दो कथाएं आती हैं। उन कथाओं के अनुसार व्यक्ति का जन्म लेना कुल से श्रेष्ठ नहीं होता अपितु कर्म से श्रेष्ठ होता है, इसीलिए व्यक्ति को जन्म से नहीं कर्म से पूजित माना गया है। शास्त्रों में भगवान् राम और शबरी के प्रसंग के द्वारा इस बात पर जोर दिया गया है कि भगवान् के यहां केवल भक्ति का नाता मान्य है, अन्य कोई नहीं। शिव महापुराण माहात्म्य कथा में प्रथम कथा देवराज नामक ब्राह्मण की आती है। इस कथा के माध्यम से बताया गया है कि ब्राह्मण अपने कर्म से भटक गया, जिस कारण उसे बहुत कष्ट उठाना पड़ा। बहुत दुःख उठाने के बाद जब वह भगवान् शिव की शरण में गया तो उसे उसके कर्म बंधनों से मुक्ति मिली। यह कथा बताती है कि व्यक्ति यदि मार्ग से भटक भी गया हो, पर फिर सच्चे मन से पश्चाताप करे और भगवान् की शरण में जाए, तो उसे मुक्ति मिलती है। बता दें कि श्री भवानी शंकर आश्रम रुडकी में शिव महापुराण कथा, रुद्राभिषेक और दैनिक यज्ञ का आयोजन 21 नवंबर से 27 नवंबर कर किया जा रहा है। यह आयोजन महंत रीमा गिरी और महंत त्रिवेणी गिरी के पर्यवेक्षण में हो रहा है। विशेष सानिध्य साध्वी डाॅ. निर्मला गिरी और श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर स्वामी मैत्रेयी गिरी महाराज का रहेगा।

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