रुड़की। ( आयुष गुप्ता ) राजपूत महासभा रुड़की द्वारा गुर्जर प्रदेश के राजपूत सम्राट मिहिर भोज परमार की जयंती उनकी मूर्ति के सामने द्वीप प्रज्जवलित कर मनाई गई। इस मौके पर बोलते हुए ठाकुर नरेश चौहान ने कहा कि उन्होंने 49 वर्षों तक शासन किया। इनकी राजधानी कन्नौज थी और राज्य का विस्तार नमृदा के उत्तर से हिमालय की तराई तथा बंगाल की सीमा तक माना जाता हैं। वह महान शासक थे और उनकी सेना सर्वाधिक प्रबल सेनाओं में मानी जाती थी। इनके पिता रामभद्र थे तथा यह भगवान विष्णु के उपासक थे और उनके पुत्र प्रथम महेन्द्र पाल राजा बने। सम्राट मिहिर भोज राजपूत क्षत्रीय थे और गुर्जर नाम केवल गुजरा देश के एक क्षेत्र के नाम के कारण प्रयोग किया जाता हैं। इस मौके पर पूर्व राज्यमंत्री ठाकुर संजय सिंह ने कहा कि इतिहासकार दशरथ प्रसाद और डॉ. गोपीनाथ शर्मा के अनुसार गुर्जर प्रतिहार राजपूत हैं। प्राचीन आर्यों के वंशज हैं, इन्हें क्षत्रीय माना जाता है। ग्वालियर के अभिलेखों से भी यह बात सिद्ध होती हैं। छठी शताब्दी के उत्तरार्द में राजस्थान का पश्चिमी भाग गुजरात्रा कहलता था और इसलिए गुर्जर प्रतिहार को गुजरीश्वर भी कहा गया। शिलालेखों में भी हर जगह गुर्जर प्रतिहारों के नाम का प्रतीक मिलता हैं और इसका निष्कर्ष नामी इतिहासकारों ने भी दिया। ठाकुर संजय सिंह ने कहा कि गुर्जर प्रतिहार का मतलब गुर्जर देश का प्रतिहार। प्रतिहार का मतलब शासक तथा गुर्जर शब्द स्थान वाचक हैं जातिवाचक नहीं। मतलब साफ है कि गुर्जर क्षेत्र के प्रतिहार शासक गुर्जर प्रतिहार कहलाये। उन्होंने कहा कि ‘वह काल था दरबारों का, राजपूत प्रतिहारों का, वह इतिहास न बदले स्याही से, जहां इस्तेमाल हुआ तलवारों का’। इस मौके पर संजय सोम, मनोज पुण्डीर, जितेन्द्र राणा, अजीत सिंह, राजकुमार कुशवाह, नरेन्द्र चौहान आदि मौजूद रहे।