रुड़की। ( आयुष गुप्ता ) आवास विकास कॉलोनी रुड़की में चल रही भागवत कथा के अंतिम दिवस आचार्य रमेश सेमवाल ने भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता का प्रसंग सुनाया। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा जी की मित्रता महान है। भगवान श्रीकृष्ण द्वारिकाधीश होते हुए भी सुदामा जी के पैर धोते हैं, उन्हें गले लगाते हैं और उन्हें धन-धान्य से परिपूर्ण करते हैं। लक्ष्मी मान बना देते हैं। भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा जी की मित्रता जगत प्रसिद्ध है। निस्वार्थ भाव की मित्रता है कि हमें मैत्री भाव श्रीकृष्ण भगवान से सीखना चाहिए। भगवान श्रीराम ने भी सबसे मित्रता की, सब की रक्षा की। भगवान श्रीकृष्ण ने भी मित्रता का धर्म निभाया। कलयुग में स्वार्थ पर आधारित मित्रता है, सभी लोग लालच के कारण मैत्री करते हैं। कलयुग में मित्रता का केवल पैमाना स्वार्थ है। जबकि स्वार्थ नहीं होना चाहिए। भगवान ने भागवत में कहा है कि हमें स्वार्थी नहीं होना चाहिए। अमीर, गरीब को छोड़कर सबसे प्रेम करना चाहिए। आज अंतिम दिवस परीक्षित को मोक्ष की प्राप्ति हुई। भागवत कथा हमें धर्म का संदेश देती है। परीक्षित जी ने 7 दिन तक भागवत कथा सुनी, सुखदेव जी महाराज ने सुनाई और साथ में दिवस उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई। उनकी आत्मा भगवान में विलीन हो गई। इसलिए स्वार्थ को छोड़कर ईश्वर की भक्ति करनी चाहिए। आज कथा में संदीप मित्तल, राकेश मित्तल, प्रदीप मित्तल, सुलक्षणा सेमवाल, अदिति सेमवाल, चित्रा गोयल, राधा भटनागर, आचार्य नरेश शास्त्री, संजीव शास्त्री, मुकेश शास्त्री आदि मौजूद रहे।