रुड़की। ( आयुष गुप्ता )
पितृ पक्ष में पितृ शांति के लिए श्रीमद् भागवत कथा आवास विकास कॉलोनी रुड़की में प्रारंभ हुई। कथा के प्रथम दिवस विशाल कलश यात्रा निकाली गई, जो लक्ष्मी नारायण मंदिर नहर किनारे से आवास विकास कथा स्थल तक गई। कथा व्यास आचार्य रमेश सेमवाल ने कहा कि पितरों की पूजा करना हमारा सनातन धर्म है। पितृपक्ष में अपने पितरों के निमित्त श्राद्ध करना विशेष महत्वपूर्ण है। अपने पितरों के निमित्त तिथियों के अनुसार श्राद्ध अवश्य करना चाहिए भगवान श्री राम, भीष्म पितामह ने भी अपने पितरों के निमित्त श्राद्ध किया है। माता-पिता की सेवा करना पुत्र का परम कर्तव्य है। जब तक माता-पिता जीवित हैं, निश्चित रूप से उनकी सेवा करनी चाहिए। माता पिता की सेवा करने से जीव का कल्याण होता है। पितृपक्ष में भागवत कथा से कल्याण होता है, पितरों को मोक्ष प्राप्त होता है। भागवत कथा भक्ति ज्ञान वैराग्य देती है। भागवत कथा कराने से पितरों को मोक्ष प्राप्त होता है और घर में सुख शांति मिलती है। भारत देश महान देश है, भारत देश की परंपरा महान है। जहां हम मृतक पूर्वजों को याद करते हैं, उनके लिए तर्पण कराते हैं, पिंडदान करते हैं। ब्राह्मण भोजन कराते हैं। वही जीव मात्र के लिए भी भोजन की व्यवस्था का विधान है गो ग्रास निकालना, स्वान के लिए ग्रास निकालना, कौआ के लिए निकालना, चीटियों के लिए भोजन निकालना, हमारी प्राचीन परंपरा है। इसलिए भारतीयों की संस्कृति महान है। भागवत कथा हमें यही सिखाती है कि हमें निरंतर भगवान की भक्ति करनी चाहिए। कथा में राकेश मित्तल, संदीप मित्तल, आचार्य नरेश शास्त्री, संजीव शास्त्री, मुकेश शास्त्री, सुलक्षणा सेमवाल, चित्रा गोयल, राधा भंडारी, राधा भटनागर आदि मौजूद रहे।