रुड़की। ( बबलू सैनी ) उत्सव के 175वें वर्ष के बीच, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की ने प्रोफेसर सुधीर के जैन जो यूनिवर्सिटी ऑफ रुड़की (अब आईआईटी रुड़की) के पूर्व छात्र हैं, को विशिष्ट पूर्व छात्र पुरस्कार (डीडीए)-2018 के साथ सम्मानित किया। यह सम्मान उन्हें अकादमिक क्षेत्र में उनके नेतृत्व के साथ उनकी उत्कृष्ट भूमिका के लिए दिया गया। आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर अजीत के चतुर्वेदी ने सीनेट हॉल में प्रोफेसर जैन को पुरस्कार प्रदान किया। इस समारोह में संस्थान के संकाय सदस्य, छात्र और कर्मचारी मौजूद रहे।
प्रोफेसर जैन 12 साल से अधिक समय तक आईआईटी गांधीनगर के निदेशक रहे। वह वर्तमान में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी के कुलपति हैं। प्रोफेसर जैन को 2020 में पद्म श्री और 2022 में कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के विशिष्ट पूर्व छात्र पुरस्कार (डीडीए) से सम्मानित किया जा चुका है। आईआईटी गांधीनगर के पहले निदेशक के रुप में प्रोफेसर जैन ने पाठ्यक्रम विकास, छात्र सम्बन्धी मामलों, संकाय भर्ती और संकाय प्रबंधन में कई विचारों के साथ प्रयोग किया। उनके नेतृत्व में संस्थान ने संकाय और छात्रों के बीच उत्कृष्टता को विकसित करने और बढ़ावा देने के लिए अनेक पहल की। अपने अभिनव दृष्टिकोण और ऊर्जावान नेतृत्व के साथ, आईआईटी गांधीनगर ने आईआईटी प्रणाली में एक अलग पहचान बनाई है। उनके काम का भारत में भूकंप इंजीनियरिंग अभ्यास और शिक्षा पर भी जबरदस्त प्रभाव पड़ा है। उन्होंने भारत में कई महत्वपूर्ण भूकंपीय कोड के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और भूकंप इंजीनियरिंग में कई पेशेवर इंजीनियरों और कॉलेज शिक्षकों के प्रशिक्षण में योगदान दिया। विशिष्ट पूर्व छात्र पुरस्कार रुड़की विश्वविद्यालय (यूओआर) या आईआईटी रुड़की के पूर्व छात्रों को अकादमिक या अनुसंधान उत्कृष्टता, इंजीनियरिंग या प्रौद्योगिकी नवाचार में उत्कृष्टता, सरकारी, सार्वजनिक या निजी क्षेत्र के नेतृत्व में उत्कृष्टता, उद्यमशीलता की उत्कृष्टता या समाज की सेवा में उत्कृष्टता में उनके उत्कृष्ट योगदान को मान्यता देने के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है। इस अवसर पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर अजीत के. चतुर्वेदी ने कहा कि प्रोफेसर जैन ने आईआईटी गांधीनगर के शिक्षकों और छात्रों के बीच उत्कृष्टता की भावना पैदा करने के लिए निरंतर प्रयास किए हैं। अब बीएचयू (बनारस हिंदू विश्वविद्यालय) उनके समृद्ध अनुभव का लाभ उठा रहा है। मुझे विश्वास है कि उनका नेतृत्व बीएचयू को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी के कुलपति प्रोफेसर सुधीर के. जैन ने कहा कि मैं आईआईटी रुड़की का आभारी हूं, जिसने मेरे जीवन को आकार दिया। आईआईटी रुड़की ने जिस रास्ते पर मुझे आगे बढ़ाया है, उसके परिणामस्वरूप मैं जो कुछ भी हासिल कर सकता हूं, यह पुरस्कार उसकी एक पहचान है। मैं रुड़की में अपने समय को संजोता हूं, जिसने मुझे न केवल शिक्षा के व्यापक अर्थों में एक शिक्षा दी है, बल्कि मुझे कुछ असाधारण सलाहकार और मित्र भी दिए हैं।