रुड़की। ( बबलू सैनी ) इकबालपुर शुगर मिल पर हरियाणा के किसानों का 34 करोड़ 25 लाख रुपये बकाया चल रहा हैं। इसे लेकर कुछ स्थानीय किसान नेता हरियाणा के किसानों से मिलकर भुगतान के लिए इकबालपुर मिल पर धरना-प्रदर्शन करने की तैयारी कर रहे हैं। जबकि शुगर मिल पर स्थानीय किसानों का 22 दिन का भुगतान बकाया हैं। अगर मिल प्रबन्धन द्वारा हरियाणा के किसानों का भुगतान किया गया, तो स्थानीय किसानों के गन्ने के भुगतान पर ग्रहण लग सकता हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि हरियाणा के किसानों ने अपनी सुविधा के अनुसार स्वेच्छिक रुप से इस मिल पर गन्ना डाला था। जबकि स्थानीय किसानों को पर्ची आदि की भी समस्या बनी हुई थी। ऐसे में स्थानीय किसानों का पहला हक चीनी पर हैं और भुगतान भी स्थानीय किसानों का ही होना चाहिए, न कि हरियाणा के किसानों का। क्योंकि 1952 से यह शुगर मिल गन्ना पेराई करती आ रही हैं और इसे स्थानीय किसान ही गन्ना दे रहे हैं। हरियाणा के किसानों को बाहरी प्रदेश के मिल में गन्ना देने की क्या जरूरत थी? क्योंकि वर्ष 2017-18 व 2018-19 का स्थानीय किसानों का मिल पर भारी भरकम भुगतान बकाया हैं। हालांकि मिल द्वारा हाईकोर्ट के आदेश पर आधा पैसा बैंक व आध पैसा किसानों को दिया जा रहा हैं। 2017-18 के भुगतान का केवल 15 प्रतिशत ही मिल पर बकाया चल रहा हैं। जिसे मिल प्रबन्धन जल्द ही देने की बात कह रहा हैं। लेकिन स्थानीय किसानों के गन्ना भुगतान में हरियाणा के किसान अडंगा लगा रहे हैं, जिसे यहां के किसान कतई सहन नहीं करेंगे। पहले यहां के किसानों का भुगतान होगा और बाद में हरियाणा के किसानों का। बताया गया है कि हाल ही में भाकियू (टिकैत) द्वारा डीएम को एक पत्र देकर हरियाणा के किसानों का भुगतान दिलाने को प्राथमिकता दी गई हैं। जिसे लेकर स्थानीय किसानों में तरह-तरह की चर्चाएं चल रही हैं। स्थानीय किसानों ने कहा कि बड़ी संख्या में किसान 8 अगस्त को इकबालपुर मिल में पहंुचकर स्थानीय किसानों के भुगतान की मांग रखेंगे।