रुड़की।  ( बबलू सैनी ) 27 जुलाई की सुबह इमरान निवासी गढ़ी संघीपुर लक्सर का शव सांई प्लाजा में मिला था। पुलिस ने उसका पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भिजवाया था। मृतक के भाई की तहरीर पर चार आरोपियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया था। इनमंे मत्स्य सहाकारी संघ के अध्यक्ष अशोक वर्मा, शिवकुमार सैनी, उमाकांत व बिजेन्द्र सैनी उर्फ बिट्टू के नाम शामिल थे। वहीं पुलिस जांच में दो नाम और सामने आये, जिनमें अशोक वर्मा के पुत्र रिजुल वर्मा तथा सिविल लाईन निवासी वीरेन्द्र सैनी का हैं। कल पुलिस ने चारों नामजद आरोपियों में से शिवकुमार उर्फ पिंकी पुत्र बाबूराम सैनी निवासी ग्राम शिवदासपुर तेलीवाला, बिजेन्द्र उर्फ बिट्टू पुत्र यशपाल सैनी निवासी शेरपुर व उमाकांत उर्फ काला पुत्र वेदप्रकाश सैनी निवासी बाजूहेड़ी को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। इसके साथ ही पूर्व में नामजद आरोपी अशोक वर्मा ओर बाद में जांच में सामने आये रिजुल और वीरेन्द्र सैनी अभी फरार चल रहे हैं। वहीं कोतवाली प्रभारी एश्वर्य पाल ने बताया कि तीन आरोपी गिरफ्तार हुये और तीन फरार चल रहे हैं, जिन्हें जल्द पकड़ लिया जायेगा। इस मामले में पुलिस की कार्यशैली संदेहास्पद हैं। क्योंकि अगर पुलिस किसी छोटे अपराधी को भी पकड़ती हैं, तो उसका प्रेसनोट जारी किया जाता हैं, यहां तक की अधिकतर मामलों में प्रेसवार्ता भी की जाती हैं। जब छोटे से छोटा मामला भी मीडिया के संज्ञान मंे लाया जाता हैं, तो आखिर इतनी बड़ी घटना के आरोपियों को चुपचाप सलाखों के पीछे भेज दिया गया और मीडिया को न तो इसका प्रेसनोट दिया गया और न ही प्रेसवार्ता की गई। इससे पता चलता है कि गंगनहर कोतवाली पुलिस की भूमिका पारदर्शी नहीं हैं। माना जा रहा है कि या तो पुलिस पर राजनैतिक दबाव हैं कि वह मामले को तूल न देकर आरोपियों को पकड़कर चुपचाप चालान करें या फिर कोई अन्य कारण भी हो सकता हैं। क्योंकि इस कांड का मुख्य आरोपी ओर सरकार में पदारुढ़ अशोक वर्मा के हाथ भी लंबे हैं और वह अपने बचने के हर हथकंडे अपना रहा हैं। इसे लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है कि आखिर इमरान की हत्या के आरोपियों का पुलिस ने प्रेसनोट के साथ ही फोटो भी मीडिया को नहीं दिया। जिसे लेकर शहर से देहात तक तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं और सबसे बड़ी बात यह है कि पुलिस के हाथ मुख्य आरोपी के गिरेबान तक कई दिन बीत जाने के बाद भी नहीं पहंुचे। इसके पीछे क्या कारण है यह भी सोचनीय प्रश्न हैं। बहरहाल कुछ भी हो, एक ओर जहां पीड़ित परिवार का रो-रोकर बुरा हाल हैं। वहीं पुलिस की कार्यशैली पर भी सवालियां निशान उठ रहे हैं।

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