रुड़की। (आयुष गुप्ता ) गत दिनों मंगलौर में कोतवाली के सामने अज्ञात तस्कर द्वारा एक दर्जन के करीब आम के प्रतिबंधित पेड़ काट दिये गये थे। उद्यान व वन विभाग से मिलीभगत कर पेड़ों की मोटी डाट रातों-रात बेच दी गई और खानापूर्ति के लिए थोड़ा माल सोकता मंगलौर स्थित वन चौकी पर रखवा दिया गया। ताकि कोई अधिकारी प्रकरण की जांच करने पहंुचे, तो उसे गुमराह किया जा सके। स्थानीय समाजसेवी लोगों का कहना है कि भाजपा सरकार में भ्रष्टाचार का खात्मा करेन की बात कही जा रही हैं, जबकि उद्यान व वन विभाग में भ्रष्टाचार की जडें बेहद गहरी हैं। जिनसे पार पाना आसान नहीं हैं। माफिया को बचाने के लिए तरह-तरह के प्रयास विभाग के ही अधिकारी और कर्मी कर रहे हैं। जो बेहद ही चिंता का विषय हैं। अहम बात यह है कि इस मामले में दोनों ही विभाग उदासीनता दिखा रहे हैं। अभी तक आरोपी के खिलाफ कोई मुकदमा या कार्रवाई होती नहीं दिख रही हैं। जिससे विभागीय अधिकारियों की कार्यशैली सवालों के घेरे में नजर आ रही हैं। इस संबंध में जब डीएफओ दीपक कुमार व गढवाल मंडल के मुख्य वन संरक्षक सुशांत पटनायक से बातचीत की गई, तो उन्होंने जांच कर आवश्यक कार्रवाई करने की बात कही। अब देखने वाली बात यह होगी कि इस मामले में संबंधित ठेकेदार के साथ ही उसे बचाने वाले कर्मियों पर भी कार्रवाई होगी या नहीं? यह तो आने वाला समय ही बता पायेगा। फिलहाल तो यह मामला चर्चाओं में बना हुआ हैं। इसी प्रकार कई अन्य स्थानों पर भी विभाग की मिलीभगत से ठेकेदार प्रतिबंधित पेड़ों का कटान करते हैं और उसके बदले मंे चंद सिक्के इनकी झोली में डाल देते हैं।

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