रुड़की।  ( बबलू सैनी ) भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की की सीनेट ने संस्थान के अनुसंधान दिवस को हर साल 14 मार्च को मनाने के लिए 53वीं संस्थान अनुसंधान समिति की सिफारिश पर मंजूरी दी। यह दिन महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन (14 मार्च, 1879) और पाई (च)-दिवस (3.14) का जन्मदिन होने के कारण भी महत्वपूर्ण है।
आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. अजीत के. चतुर्वेदी ने कैंपस में आयोजित एक भव्य समारोह में 14 मार्च को पहले संस्थान अनुसंधान दिवस (इंस्ट्टियूट रिसर्च-डे) और वर्चुअल रिसर्च गैलरी (वीआरजी) का उद्घाटन किया। वर्चुअल रिसर्च गैलरी ने एक संक्षिप्त (2-3 मिनट) वीडियो और एब्स्ट्रैट्स के जरिए आईआईटी रुड़की के चयनित शोधों को प्रदर्शित किया गया।
इस अवसर पर 13 मार्च को एक शोध पोस्टर प्रस्तुति प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता में संस्थान के कई शोधकर्ताओं ने भाग लिया। इनमें बोर्ड-1 इंजीनियरिंग विद्यार्थी अकेपोगु वेंकटेश्वरलु प्रियब्रत मंडल, बोर्ड-2 इंजीनियरिंग विद्यार्थी हरीश कर्णेडी व विजय पांडुरंग मोहले, बोर्ड-3 इंजीनियरिंग विद्यार्थी नीतीश कुमार व नितिन कुमार, बोर्ड-4 साइंस विद्यार्थी भारत सोनी व अनुराधा सिल्वा, बोर्ड-5 आर्किटेक्चर विद्यार्थी आदित्य बंडारी व धारणा को प्रमाण पत्र और नकद पुरस्कार से सम्मानित किया गया। शुभारंभ के दौरान प्रो. चतुर्वेदी ने कहा कि यह समय तकनिक के सहारे अपने शोध को प्रदर्शित करने का है ताकि जीवन के नए आयाम बनाये जा सके। आईआईटी रुड़की ने तय किया है कि 14 मार्च के दिन को रिसर्च-डे के तौर पर मनाया जाए। रिसर्च स्कालर्स और फैकल्टीज का इसमें बढ़ चढ़कर हिस्सा लेना बताता है कि ये संस्थान के वार्षिक इवेंट कैलेन्डर में महत्वपूर्ण दिन के तौर पर स्थापित हो जाएगा। इसके साथ ही, संस्थान अनुसंधान दिवस की पूर्व संध्या पर आईआईटी रुड़की के भौतिकी विभाग द्वारा तीसरे सी.वी. रमन मेमोरियल लेक्चर का आयोजन किया गया था और ‘ब्लैक होल थर्मोडायनामिक्स तब और अब’ पर एक वर्चुअल टॉक प्रो. एडवर्ड विटेन, फील्ड्स मेडलिस्ट, चार्ल्स सिमोनी प्रोफेसर, इंस्टीट्यूट फॉर एडवांस स्टडी, प्रिंसटन द्वारा दिया गया था। संस्थान के अनुसंधान दिवस, 14 मार्च पर आयोजित वर्चुअल टॉक में प्रोफेसर जेम्स गेट्स जूनियर, ब्राउन थ्योरेटिकल फिजिक्स सेंटर के डायरेक्टर, फोर्ड फाउंडेशन भौतिकी के प्रोफेसर और गणित के एफिलिएट प्रोफेसर, वाटसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल स्टडीज एंड पब्लिक अपफेयर्स फैकल्टी फेलो, ब्राउन यूनिवर्सिटी, ने ‘पीपल नो वन कैन इमेजिन एनीथिंग ऑफ एंड फॉलोविंग एस. रामनुजंस एक्साम्पल’ विषय पर व्याख्यान दिया। ‘ग्रेविटी, ज्योमेट्री एंड क्वांटमः फिजिक्स बियॉन्ड आइंस्टीन’ विषय पर प्रोफेसर अभय अष्टेकर, भौतिकी के इवान पुघ प्रोफेसर, भौतिकी में एबर्ली चेयर के धारक, इंस्टीट्यूट फॉर ग्रेविटेशन एंड द कॉसमॉस, पेन स्टेट के संस्थापक निदेशक एमेरिटस द्वारा दिया गया था। संस्थान में आर्किटेक्चर और प्लानिंग के पीएचडी छात्र आशीष सरकार ने कहा कि ‘पहली बार, हमारे संस्थान ने आईआईटी रुड़की के सभी विद्वानों के लिए एक शोध दिवस की मेजबानी की है। एक प्रतिभागी के रुप में, मुझे यह विद्यार्थियों के लिए अपने शोध कौशल का प्रदर्शन करने के साथ-साथ सार्वजनिक मंच पर अपने विचार व्यक्त करने के एक बेहतरीन अवसर लगा। इस आयोजन ने शोधकर्ताओं को उच्च शोध मानकों को स्थापित करने और बनाए रखने के लिए प्रेरित किया गया है। कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए, निदेशक, प्रो. चतुर्वेदी ने कहा कि हमारे संस्थान का अत्याधुनिक शोध करने और विश्व स्तर पर प्रभावशाली शोधकर्ताओं का निर्माण करने का एक सशक्त इतिहास है। टेक्नोलॉजी का उपयोग करके अपने शोध को प्रदर्शित करने और शोध को अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाने का यह सही समय है। आईआईटी रुड़की एक विशेष दिन को संस्थान अनुसंधान दिवस के रुप में मनाकर अनुसंधान को अपनी संस्कृति का हिस्सा बनाने की इच्छा रखता है। मुझे विश्वास है कि यह संस्थान में एक बेहतर शोध संस्कृति के निर्माण में एक लंबा रास्ता तय करेगा और इससे समाज को व्यापक रूप से लाभ मिलेगा। संस्थान अनुसंधान दिवस के तहत पिछले दो दिनों के आयोजनों में बड़ी संख्या में वैश्विक अनुसंधान समुदाय की वर्चुअली और भौतिक रूप से भागीदारी, इस तथ्य का प्रमाण है। अकादमिक अफेयर्स के डीन प्रो. अपूर्वा कुमार शर्मा ने संस्थान अनुसंधान दिवस की पृष्ठभूमि और महत्व के बारे में बताया। प्रो. शर्मा ने कहा कि ‘अनुसंधान को अब अकेले में लोगों के समूह की गतिविधि के रुप में नहीं देखा जाता है, बल्कि यह अब और अधिक खुल गया है और अनुसंधान के बारे में लोगों का दृष्टिकोण काफी बदल गया है। आज अनुसंधान हर नए कार्य का पर्याय बन गया है। लोगों ने अब महसूस किया है कि अनुसंधान के परिणाम को कैसे संजोना है और अनुसंधान का जश्न कैसे मनाया जाए। यह आईआईटी रुड़की के महत्वपूर्ण निर्णयों में से एक है कि इसने हर वर्ष एक विशेष दिन को संस्थान अनुसंधान दिवस के रुप में मनाने की शुरुआत की है। 14 मार्च दुनिया के सबसे महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्मदिन है। इसके अतिरिक्त, इस दिन को पाई-(च) दिवस के रुप में जाना जाता है, क्योंकि इसकी वैल्यू करीब 3.14 है। इस प्रकार, संस्थान अनुसंधान दिवस (इंस्टिट्यूट रिसर्च डे) मनाने के लिए इससे बेहतर दिन नहीं हो सकता था।

By Admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Share