रुड़की। (बबलू सैनी ) मंगलौर विधानसभा सीट पर काजी और हाजी आपस में लड़ रहे हैं। इसका फायदा भाजपा पार्टी समर्थित प्रत्याशी को मिल सकता हैं। इसके लिए भाजपा हाईकमान को यहां से एक मजबूत प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतारना होगा, जो जाट, गुर्जर, दलित व अन्य वर्गों के साथ ही सर्वसमाज के वोटों को साध सके। हालांकि इस सीट पर आधा दर्जन से भी अधिक पार्टी के कद्दावर नेताओं ने अपनी मजबूत दावेदारी पेश की हैं। इस चुनाव में आम आदमी पार्टी ने भी अपना प्रत्याशी उतारा हैं। माना यह भी जा रहा है कि इस सीट पर पार्टी लिब्बरहेड़ी सहकारी समिति के निदेशक सुशील राठी को भी मैदान में उतार सकती हैं। वह इस क्षेत्र के बेहद मजबूत नेता माने जाते हैं और पिछले दिनों कांग्रेस छोड़कर भाजपा पार्टी में शामिल हुये। इसके साथ ही उन्होंने चेयरमैन प्रतिनिधि के रुप में किसानों की लड़ाई लड़ी, अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा और पार्टी ने उन्हें प्रत्याशी बनाया, तो निश्चित रुप से यह सीट भाजपा की झोली में जा सकती हैं। फिलहाल तो समीकरणों की बात की जाये, तो काजी और हाजी दोनों केवल मुस्लिम समाज में अपनी पकड़ रखते हैं और यहां वोटों का बंटवारा हो सकता हैं। वहीं आप के पल्ले भी कुछ खास नहीं हैं। ऐसे में भाजपा हाईकमान के लिए मौका हैं, वह यहां के चुनावी समीकरण देखते हुए मजबूत दावेदार को चुनाव मैदान में उतारें ताकि आसानी से यह सीट भाजपा के पाले में चली जाये। चूंकि अन्य कई दावेदार भी अपने-अपने आकाओं के संपर्क में हैं। ऐसे में यह कहना अभी जल्दबाजी होगी कि पार्टी इस सीट पर क्या निर्णय लेती हैं। हां यह सही है कि यदि कमजोर प्रत्याशी को यहां उतारा गया, तो पूर्व की भांति जो ऋषिपाल बालियान के साथ हुआ था, वही घोषित प्रत्याशी के साभ भी होगा। इस सीट पर यह साफ है कि जो भी प्रत्याशी सर्वसमाज के वोट हासिल करने की ताकत रखता हैं, वहीं चुनावी परीक्षा में सफल होगा।

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