रुड़की। ( बबलू सैनी ) अखिल भारतीय शैक्षिक विमर्श एवं शिक्षक सम्मान समारोह का आयोजन यूनिवर्सिटी ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी रुड़की में किया गया।
रविवार को वैश्विक महामारी के दौर में वैश्विक परिवेश में शिक्षा के बदलते परिदृश्य एवं चुनोतियों को लेकर शिक्षक संगोष्ठी का आयोजन ‘उद्घोष शिक्षा का नया सवेरा’ के बैनर तले किया गया। कार्यक्रम का संचालन विनय सैनी एवं चमोला ने संयुक्त रुप से किया। जिसमें संरक्षक योगी यतींद्रानंद गिरी महाराज महामंडलेश्वर जूना अखाड़ा एवं मुख्य अतिथि के रुप में महेश दत्त शर्मा, विशिष्ट अतिथि के रुप सतीश शर्मा सम्पादक गढ़वाल पोस्ट एवं सिने
अभिनेता बॉलीवुड एवं पुष्पा रानी वर्मा पूर्व उप-शिक्षा निदेशक, श्रीकांत पुरोहित खण्ड शिक्षा अधिकारी, गौरव गोयल महापौर रुड़की मौजूद रहे। महामंडलेश्वर यतींद्रानन्द गिरी महाराज ने कहा कि रुड़की शहर पूर्व समय से ही शिक्षा नगरी के नाम से प्रसिद्ध रहा है। रुड़की में आईआईटी विश्व प्रसिद्ध शिक्षण संस्थान होने के कारण यहाँ देश-विदेश से पढ़ने के लिए बच्चे आते है। उन्होंने वैश्विक महामारी के समय में शिक्षा के बदलते स्वरूप पर भी प्रकाश डालते हुए कहा कि आज विश्व एक बुरे दौर से गुजर रहा है जिसके कारण हमारी आने वाली पीढ़ी को अत्यधिक नुकसान होने की संभावना बनी हुई है। परंतु हमारे शिक्षकों की कड़ी मेहनत एवं संवेदनशीलता ने इस बुरे दौर में भी अपनी कार्य के प्रति पूर्ण निष्ठा एवं लग्न से कार्य कर अपने दायित्वों का निर्वहन अच्छे से कर अपने आप को श्रेष्ठ सिद्ध किया। सतीश शर्मा ने कहा कि सरकारी शिक्षा को बढ़ावा देने हेतु शिक्षक के साथ साथ बच्चों के माता पिता एवं समाज भी उतना ही उत्तरदायी है, जितना की शिक्षक। हमें अपने बच्चों के प्रति पूर्ण रुप से संवेदनशील रहने की आवश्यकता है। खण्ड शिक्षा अधिकारी श्रीकांत पुरोहित ने कहा कि शिक्षक पूरी लग्न ओर मेहनत से अपने सभी दायित्वों का निर्वहन करते है, जिसके कारण कोविड काल मे भी शिक्षकों की संवेदनशीलता के कारण बच्चों की शिक्षा प्रभावित नहीं हो पाई। महापौर गौरव गोयल ने वैश्विक महामारी के दौरान शिक्षा के बदलते स्वरूप को लेकर कहा कि जहाँ एक तरफ पूरी दुनिया मे इस वैश्विक महामारी ने मौत का तांडव मचाया हुआ था, वहीं दूसरी ओर शिक्षक अपनी जान की परवाह ना करते हुए स्कूलों में ड्यूटी दे रहे थे एवं कोविड महामारी में भी अनेक जगह पर शिक्षकों की तैनाती की गई थी जिसको प्रत्येक शिक्षक बड़ी ईमानदारी से निर्वहन कर रहा था। कार्यक्रम में देश के 22 राज्यों के शिक्षकों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम संयोजक सजंय वत्स ने बताया कि वैश्विक परिवेश में सरकारी शिक्षा के बदलते स्वरूप को लेकर देश के अलग-अलग राज्यांे से शिक्षकों के आपस मे मिलने से विचारों का आदान प्रदान होता है जिससे शिक्षकों में नई ऊर्जा का संचार होता है। शिक्षकों को अलग-अलग आइडियाज मिलते है, जिनका सदुपयोग शिक्षक अपने विद्यालय के बच्चों को शिक्षा देने हेतु करता है। सह-संयोजक रविराज सैनी रहे। कार्यक्रम में राजीव कुमार शर्मा, आलोक शर्मा, डॉ. रणवीर सिंह, नितिन शर्मा, सुशील कुमार, राहुल सैनी, अनुभव गुप्ता, नाजिम, इनाम, दीपक कुमार, सुमन, दीपा कौशिक, निशु वत्स, मनोज लाखडा आदि शिक्षक मौजूद रहे।