रुड़की।
चकबंदी विभाग में भ्रष्टाचार के आए दिन नए-नए मामले देखे जाते हैं, लेकिन बुधवार की सुबह एक ऐसा मामला देखने को मिला, जिसे देखकर आम लोगों के साथ ही तहसील प्रशासन के होश उड़ गए। यहां कनखल निवासी भाजपा नेता जगजीवन राम चकबंदी अधिकारियों की भ्रष्टाचार में लिप्त कार्यशैली से क्षुब्ध होकर अपने ऊपर पेट्रोल डालकर वहां खड़े पेड़ पर चढ़ गए।
यह देख तहसील प्रशासन के हाथ पांव फूल गए और आनन-फानन में मौके पर फायर ब्रिगेड के साथ ही कोतवाली पुलिस को बुलाया गया। साथ ही ज्वाइंट मजिस्ट्रेट भी मौके पर पहुंचे और उक्त नेता से पेड़ से नीचे उतरने का निवेदन किया। लेकिन वह किसी की बात सुनने को तैयार नहीं था। उसके पास एक बैग भी देखा गया था।
ज्ञात रहे कि जग जीवन राम लंबे समय से चकबंदी के बंदोबस्त अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के खुलेआम आरोप लगाते आ रहे हैं, विगत 3 दिसंबर को भी उन्होंने बेलड़ा और कुछ अन्य गांव में चल रही चकबंदी प्रक्रिया में धांधली का आरोप लगाते हुए तहसील प्रशासन से जांच कराने की मांग की थी, जिसमें कई बार उन्होंने अधिकारियों से मुलाकात भी की थी, लेकिन किसी भी स्तर पर कोई कार्यवाही नहीं हो पाई, इन मामलों में कार्रवाई ना होने से परेशान जगजीवन राम ने 15 दिसंबर बुधवार को चकबंदी के बंदोबस्त अधिकारी के कार्यालय पर आत्मदाह की चेतावनी दी थी, जिसे लेकर खुफिया विभाग भी उनकी तलाश कर रहा था और बुधवार की सुबह करीब 10:00 बजे जगजीवन राम एक बैग लेकर तहसील कार्यालय में पहुंचा। इससे पहले वहां तैनात पुलिस कुछ समझ पाती, जगजीवन राम देखते ही देखते पेड़ पर चढ़ गया जिसके बाद काफी देर तक हाई वोल्टेज ड्रामा रहा। वहीं कोतवाल देवेंद्र चौहान ने ग्रामीणों को समझाने का प्रयास किया। वही जगजीवन राम का कहना है कि जब तक मामले की निष्पक्ष जांच नहीं होती वह पेड़ से नहीं उतरेंगे, उसके बाद मौके पर ज्वाइंट मजिस्ट्रेट अंशुल सिंह पहुंचे और उन्होंने भाजपा नेता से नीचे उतरने का आह्वान किया। काफी मशक्कत के बाद जगजीवन पेड़ से नीचे उतरे और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। उधर ज्वाइंट मजिस्ट्रेट अंशुल सिंह ने बताया कि कुछ दिन पूर्व उन्होंने एक मामले को लेकर शिकायत की थी, जिसकी जांच एएसडीएम द्वारा की जा रही थी, लेकिन उससे पहले ही उन्होंने यह घटना कर दी। फिलहाल उक्त व्यक्ति को सकुशल पेड़ से नीचे उतार लिया गया है ओर से अस्पताल में भर्ती करा दिया गया।
कुल मिलाकर तहसील प्रशासन की भी मिलीभगत से इनकार नहीं किया जा सकता। चकबंदी विभाग में इस भ्रष्टाचार से हर कोई वाकिफ है, लेकिन बावजूद इसके इन अधिकारियों पर कोई दंडात्मक कार्रवाई अमल में नहीं लाई जाती, जिसका जीता जागता उदाहरण आज तहसील में देखने को भी मिला।