रुड़की/लक्सर।
देश की आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर मनाये जा रहे “आजादी का अमृत महोत्सव” कार्यक्रम के अंतर्गत आईआईटी रुड़की के जल संसाधन विकास एवं प्रबन्धन विभाग में संचालित ग्रामीण कृषि-मौसम सेवा परियोजना द्वारा हरिद्वार जनपद के लक्सर ब्लॉक स्थित मुण्डाखेड़ा कलाँ गाँव में किसान जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर किसानों को कृषि-मौसम सेवाओं के बारे में जागरूक किया गया। कार्यक्रम में ग्रामीण कृषि-मौसम सेवा परियोजना के नोडल अधिकारी प्रो. आशीष पाण्डेय ने कृषि-मौसम प्रक्षेत्र इकाई, आईआईटी रुड़की द्वारा किसानों को उपलब्ध कराई जा रही कृषि-मौसम परामर्श सेवाओं के लाभ तथा उन्हें प्राप्त करने के उपायों पर विस्तारपूर्वक चर्चा किया।
आईआईटी रुड़की की कृषि-मौसम परामर्श सेवाओं से विगत डेढ़ दशक से जुड़े हुए भगवानपुर ब्लॉक के प्रगतिशील कृषक तथा भू-अमृत फार्मर्स प्रोड्यूसर कम्पनी के निदेशक रवि किरन सैनी ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए किसान भाइयों को मौसम आधारित खेती व जैविक खेती के लाभ तथा उसकी बारीकियों से अवगत कराया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे अंतर्राष्ट्रीय संस्कृति प्रचारक डॉ. सतीश कुमार शास्त्री ने भारतीय किसानों के प्राचीन मौसम ज्ञान का उल्लेख करते हुए घाघ तथा भड्डरी जैसे मौसमी कवियों के योगदान की चर्चा किया। इस अवसर पर नोडल अधिकारी प्रो. आशीष पाण्डेय के आग्रह को स्वीकार करते हुए युवा कृषक आयुष ने स्वेच्छा से ‘मौसम मित्र’ बनकर ग्रामवासियों का व्हाट्सप्प ग्रुप बनाकर उन्हें कृषि-मौसम परामर्श सेवाएं उपलब्ध करने का जिम्मा लिया। किसान जागरूकता कार्यक्रम का संचालन करते हुए ग्रामीण कृषि मौसम सेवा परियोजना के तकनीकी अधिकारी डॉ. अरविन्द कुमार ने अधिक से अधिक किसानों से कृषि-मौसम परामर्श सेवाओं से जुड़ने का आग्रह किया। कार्यक्रम के आयोजन में महत्वपूर्व भूमिका निभाने वाले पुरवाला गाँव के प्रगतिशील कृषक तथा ‘मौसम मित्र’ मोनू सैनी ने बताया कि आईआईटी रुड़की की ग्रामीण कृषि-मौसम सेवा परियोजना द्वारा 17-18 अक्टूबर को हुई बरसात का पूर्वानुमान 14 अक्टूबर को ही उपलब्ध करा दिया गया था। पूर्वानुमान के मुताबिक लक्सर क्षेत्र में बीती 18 अक्टूबर को 29 मिमी बरसात दर्ज की गई। चूँकि उस समय अधिकतर किसान सरसों की बुवाई कर रहे थे। इसलिए पूर्व सूचना प्राप्त हो जाने से किसानों ने बुवाई रोक दी थी। जिससे उनका सरसों के मंहगे बीज का नुकसान होने से बच गया। किसान विपिन कुमार ने बताया कि बरसात का पूर्वानुमान प्राप्त हो जाने से किसानों ने गन्ने की सिंचाई नहीं किया इससे उन्हें प्रति एकड़ 500-1000 रूपये की बचत हुई है। इस प्रकार सिंचाई में खर्च होने वाले श्रम व धन की बचत होने से किसानों को सीधा लाभ हुआ है। हालाँकि जिन किसान भाइयों के धान की फसल खेत में खड़ी थी, वह बरसात के कारण खेत में गिर गई इससे उन्हें उपज में नुकसान उठाना पड़ा है। कार्यक्रम के अन्त में वरिष्ठ कृषक तथा पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य नकली राम ने सभी अतिथियों व आगंतुक किसानों का धन्यवाद ज्ञापित किया। किसान जागरूकता कार्यक्रम में किसान धर्मपाल सिंह, सतपाल प्रधान, रोहतास, रणवीर सिंह, राजवीर, सुभाष, डॉ. नफीस, किसान उत्पादक संघ के सीईओ नवीन सहित बड़ी संख्या में किसान उपस्थित रहे। कार्यक्रम में किसानों की जिज्ञासाओं का विशेषज्ञों द्वारा समाधान किया गया तथा उनके मोबाइल फोन में आईआईटी रुड़की द्वारा ब्लॉक स्तर पर मौसम सूचना प्राप्त करने के लिए विकसित ‘मौसम एप’ तथा भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा विकसित ‘मेघदूत एप’ को भी इंसटाल किया गया। मौसम सेवाओं को और अधिक उपयोगी बनाने के लिए जीकेएमएस टीम द्वारा प्रश्नावली के माध्यम से किसानों का फीडबैक भी लिया गया।
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