रुड़की। ( आयुष गुप्ता )
डॉ. शालिनी जोशी पंत नवसृजन साहित्यिक संस्था की नई अध्यक्ष चुनी गई। सर्वप्रथम संस्था के वरिष्ठ सदस्यों द्वारा नीरज नैथानी को मोमेंटो तथा शाल ओढ़ाकर उनका स्वागत किया गया तथा उसके बाद डॉ. शालिनी जोशी पंत ने एक अभिनंदन पत्र पढ़कर उन्हें भेंट किया। संस्था की ओर से श्रीमती माधुरी नैथानी को भी शाल ओढ़ाकर तथा पुष्प गुच्छ भेंट कर सम्मानित किया गया। वरिष्ठ साहित्यकार गोपाल नारसन एडवोकेट ने कहा कि नीरज नैथानी एक सुयोग्य साहित्यकार, शिक्षाविद तथा यायावर प्रवृत्ति के व्यक्ति हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि नवनिर्वाचित अध्यक्ष डॉ. शालिनी जोशी पंत के नेतृत्व में यह संस्था और भी उन्नति करेगी। संस्था के वरिष्ठ संरक्षक सुबोध पुंडीर ‘सरित’ ने इस अवसर पर नीरज नैथानी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व की भूरी -भूरी प्रशंसा की तथा उनके सम्मान में अपनी एक बहुत उत्कृष्ट रचना भी प्रस्तुत की जिसे पूरे सदन का भरपूर समर्थन मिला। संस्था के समन्वयक सुरेंद्र कुमार सैनी ने नीरज नैथानी के साथ गुजारे पलों का स्मरण किया। साहित्यकार एवं ग़ज़लकार कृष्ण सुकुमार ने अपने उद्गार प्रकट करते हुए कहा कि नीरज नैथानी के कार्यकाल में नव सृजन साहित्यिक संस्था द्वारा रुड़की नगर के 43 कवियों की पांच -पांच रचनाओं का जो एक सम्मिलित काव्य संग्रह ‘सृजन सरोवर’ नाम से प्रकाशित किया गया है। पौड़ी के मुख्य शिक्षा अधिकारी डॉ. आनंद भारद्वाज ने नैथानी जी के साथ अपने संस्मरण साझा करते हुए उन्हें एक सरल, सौम्य , सहृदय और निश्छल प्रवृत्ति का इन्सान बताया। अनिल अमरोहवी ने कहा कि नवसृजन साहित्यिक संस्था के साथ-साथ श्री नैथानी ने रुड़की में ‘कविता कारवां’ नामक संस्था की स्थापना करके हम जैसे उन लोगों को भी एक मंच उपलब्ध कराया। संस्था के महासचिव किसलय क्रांतिकारी ने भी अपने उद्बोधन में श्री नैथानी के कार्यों की प्रशंसा की और उनके उज्जवल भविष्य की कामना भी की। इस अवसर पर नवसृजन साहित्यिक संस्था तथा कविता कारवां से जुड़े सदस्यगण आदित्य सक्सेना, श्रीमती निशा सक्सेना, नवीन शरण निश्चल, श्रीमती रश्मि त्यागी, शाहिदा शेख, राजेंद्र सैनी, गोपाल शर्मा , विनीत भारद्वाज तथा अनुपमा आदि ने भी अपने विचार प्रकट किए। इस अवसर पर निवर्तमान अध्यक्ष नीरज नैथानी ने बोलते हुए नवसृजन साहित्यिक संस्था के अपने सभी साथियों के प्रति इस बात के लिए आभार प्रकट किया कि उनके द्वारा हमेशा उन्हें भरपूर सहयोग एवं समर्थन दिया जाता रहा तथा उन्हें सदैव उम्मीद से अधिक सम्मान प्राप्त हुआ है। उन्होंने भावुक होते हुए कहा कि रुड़की में साहित्यिक संस्था के अंतर्गत बिताया गया समय उनके लिए अविस्मरणीय है।