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तहसील में उड़ाई जा रही “जीरो टॉलरेंस” नीति की धज्जियां, प्रमाण पत्र बनाने में जमकर की जा रही लूट मचाई

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रुड़की। ( आयुष गुप्ता ) जहां एक ओर सरकार जीरो टोलरेंस की नीति अपना रही हैं। वही सरकारी अफसर सरकार को बदनाम करने का काम कर रहे हैं। बताया गया है कि मोटी रिश्वत लिये बिना कोई कार्य नहीं होता। जहां एक ओर सरकार ने जनहित में अनेक योजनाएं चलाई हुई है, लेकिन हर किसी योजना में सरकारी अफसरों द्वारा सत्यापित दस्तावेजों की जरूरत पड़ती हैं। उन्हीं दस्तावेजों को तैयार करने में अधिकतर सरकारी अफसर मगरमच्छ की तरह मुंह खोलकर रिश्वत मांगते हैं। जो वास्तविक योजनाओं के पात्र हैं, उन तक योजनाएं ऐसे भ्रष्ट अफसरों के कारण नहीं पहुंच पाती। जिसके कारण सरकार की जीरो टोलरेंस की नीति धराशाही हो रही है। रुड़की तहसील में हल्का लेखपाल द्वारा मोटा खेल खेला जा रहा है। सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए जाति/स्थायी/आय व चरित्र प्रमाण पत्रों की आवश्यकता होती है। इन्हें बनाने की एवज में तहसील में तैनात अमीन, कार्यकारी लेखपाल द्वारा एक-एक माह के अंदर एक-एक व्यक्ति के दो से तीन बार प्रमाण पत्र जारी किये जाते हैं। पहले प्रमाण पत्र में अनर्गल आय दर्शायी जाती है। आय अधिक दर्शाकर आवेदक को मिलने पर मजबूर किया जाता है। हल्का लेखपाल आवेदक से सैटिंग-गैटिंग कर उसे दोबारा प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करने को कहता हैं और इसके बाद दोबारा प्रमाण पत्र हल्का लेखपाल द्वारा कम आय का जारी किया जाता है। ऐसा कोई एक कृत्य नहीं हैं। एक ही राजस्व चैकी प्रभारी द्वारा दो दर्जन से अधिक प्रमाण पत्र एक-एक माह में दो से तीन बार जारी किये जा चुके हैं। जबकि नियमानुसार आय प्रमाण पत्र एक वर्ष के लिए मान्य होता है, लेकिन हल्का लेखपाल एक माह मंे दो से तीन बार एक ही व्यक्ति के प्रमाण पत्र जारी कर रहे हैं। जीरो टोलरेंस का नारा देने वाली सरकार को जीरो पर ही अधिकारी पहुंचाने को अग्रसर हैं। इस संबंध में जब हल्का लेखपाल से उनका पक्ष जानने का प्रयास किया गया, तो एक बार तो उन्होंने फोन उठा लिया, परंतु जानकारी पूरी होने से पहले ही फोन काट दिया।
सनद रहे कि जब एक हलके में दो दर्जन से अधिक ऐसे कृत्य किये जा रहे हैं, तो प्रदेश में क्या हालत होगी। सरकार को ऐसे प्रकरण के खिलाफ कठोर कदम उठाकर उनकी जांच करानी चाहिए ताकि आम जनता को राहत मिल सके और ऐसे भ्रष्ट अफसरों को तत्काल निलम्बित कर इनकी सम्पत्ति की जांच भी करानी चाहिए। इस कृत्य के संबंध में जब ज्वाइंट मजिस्ट्रेट अभिनव शाह से वार्ता की गयी, तो उन्होंने बताया कि उनके संज्ञान में मामला आया है तथा अमीन प्रभारी हल्का लेखपाल को नोटिस दिया गया है। उन्होंने बताया कि आवेदन कर्ता द्वारा दो बार आवेदन करना भी गलत है। जे.एम. शाह ने बताया कि दोनों पक्षों को नोटिस जारी किये गये हैं। जो भी दोषी पाया जाता है, उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जायेगी।
वहीं दूसरी ओर जनपद पुलिस द्वारा भी आंख बंद करके चरित्र प्रमाण पत्र जारी किये जा रहे हैं। सभी कार्यदायी सरकारी संस्थाओं में ठेकेदारों द्वारा छह माह के बाद चरित्र प्रमाण पत्र दाखिल करना अनिवार्य होता है। क्योंकि चरित्र प्रमाण पत्र की वैधता मात्र छह माह की ही होती है। ठेकेदारों द्वारा विभाग के आशीर्वाद से उसे बरसो-बरसों बाद दाखिल किया जाता है। पुलिस विभाग द्वारा ऐसे अनेक प्रमाण पत्र जारी किये गये हैं, जिनके खिलाफ वाद विचाराधीन है। बिना किसी खौफ के उन्हें भी चरित्र प्रमाण पत्र बांटे जा रहे हैं। अब पुलिस विभाग जिस पर बहुत अधिक जिम्मेदारियों का बोझ है। वहां भी चूक सामने आ रही है।  सरकार को रसातल में उतारने का अफसारों ने जैसे पूरा मन बना लिया हो।

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